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His Excellency, Governor Lieutenant General Gurmeet Singh (Retd.), attended a program organized at Riverdale International School to congratulate the school family on the completion of 25 years. His Excellency inaugurated the program by cutting the r

Publish Date : 05/12/2025
बाजपुर 29 नवंबर, 2025 (सू0 वि0)- महामहिम राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने रिवरडेल इंटरनेशन स्कूल को 25 वर्ष पूर्ण होने पर विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचकर स्कूल परिवार को बधाई दी। महामहिम ने कार्यक्रम का फीता काटकर व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। महामहिम राज्यपाल को रिवरडेल इंटरनेशन स्कूल हैलीपैड पहुंचने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा, मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
अपने सम्बोधन में महामहिम ने कहा कि पर्वतराज हिमालय की तलहटी स्थित देवभूमि में, माँ सरस्वती के इस पावन प्रांगण में उज्ज्वल भविष्य की ऊर्जा से भरे आप सभी विद्यार्थियों के मध्य उपस्थित होने पर, मुझे अपार प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। उन्होंने सभी स्टूडेंट्स, अध्यापकगण, अभिभावकों और विद्यालय परिवार को रजत जयंती के इस सुअवसर पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज रिवरडेल इंटरनेशनल स्कूल की 25 वर्ष की इस गौरवशाली यात्रा का साक्षी बनना मेरे लिए अत्यंत सम्मान और गौरव का क्षण है। रिवरडेल का यह सफर समर्पण, उत्कृष्टता, अनुशासन और दूरदर्शिता के उज्ज्वल अध्यायों से भरा एक प्रेरक इतिहास है। उन्होंने कहा कि हर उत्सव हमें यह अवसर देता है कि हम जहाँ खड़े हैं उसका मूल्यांकन करें, जहाँ पहुँचे हैं उस पर गर्व करें और भविष्य के लिए नए संकल्प लें।
महामहिम ने कहा कि ये नन्हे-मुन्ने बच्चे नर्सरी के बच्चों की मासूम प्रस्तुति, एलकेजी के किड्स की रैटल ड्रिल, यूकेजी के छात्रों का पोम पोम शो, उनकी तितलियों-सा उड़ता बटरफ्लाई डांस, चाइनीज डांस, हॉकी ड्रिल, फ्लावर ड्रिल और जिमनास्टिक – ये सब इस विद्यालय की आत्मा और संस्कृति की झलक थी। इन प्रस्तुतियों में मेहनत, अनुशासन, आत्मविश्वास और कला के प्रति प्रेम दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि आज इस गरिमामय अवसर पर, मुझे अपने बचपन और स्कूली दिनों की यादें ताजा हो गई हैं। उन्होने कहा अनुशासन, समय का सम्मान, लक्ष्य के प्रति समर्पण- ये मूल्य मैंने अपने विद्यालय से सीखे, और वे मेरे पूरे सैन्य जीवन में मार्गदर्शक बने रहे। उन्होने कहा मैं चाहता हूँ कि रिवरडेल के हर छात्र के हृदय में भी ऐसे ही मूल्य अंकित रहें, जो उन्हें जीवन के हर संघर्ष में मजबूत बनाएं और राष्ट्र भक्ति, राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र प्रथम की भावनाओं से भर दें।
महामहिम ने कहा कि जनपद उधम सिंह नगर का नाम हम सभी के मन में अदम्य साहस, बलिदान और मातृभूमि-प्रेम का संदेश देता है। उन्होने कहा मेरा विश्वास है, जिस जिले का नाम ऐसे वीर के नाम पर रखा गया हो, वहाँ का हर बच्चा स्वाभाविक रूप से राष्ट्र प्रेम और कर्तव्यनिष्ठा में अग्रणी ही होगा। उन्होंने कहा कि इस स्कूल की यह हरियाली, शांति और प्रदूषण मुक्त वातावरण, यह वातावरण विद्यार्थियों को प्रकृति से जोड़ता है और उन्हें संवेदनशील बनाता है। विद्यालय का आदर्श वाक्य-उत्कृष्टता की खोज में सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि हर विद्यार्थी के आचरण में दिखाई देने वाला दर्शन है। उन्होंने कहा कि रिवरडेल का प्रतीक स्तंभ, खुली किताब, मशाल और उड़ते हुए कबूतर – चरित्र, ज्ञान, प्रकाश और निरंतर ऊँचाई की प्रेरणा का प्रतीक हैं। यह प्रतीक केवल एक चिन्ह नहीं, बल्कि उन मूल्यों का वचन है, जिन्हें यह स्कूल अपने विद्यार्थियों में रोपित करता चला आ रहा है।
महामहिम ने कहा कि विद्यालय के संरक्षकों का विजन परंपरागत शिक्षा से आगे बढ़कर विश्वस्तरीय शिक्षा की ओर कदम बढ़ाना, आज यहाँ के हर कार्यक्रम और उपलब्धि में परिलक्षित होता है। मैं उत्तराखण्ड के प्रथम राज्यपाल माननीय सुरजीत सिंह बरनाला जी को भी स्मरण करता हूँ, जिनके हाथों इस संस्था की आधारशिला रखी गई। उनके द्वारा बोया गया बीज आज विशाल वटवृक्ष बन चुका है। उन्होंने कहा कि रिवरडेल इंटरनेशनल स्कूल केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की परंपरा है, जिसे एस. पूरन सिंह मेमोरियल एजुकेशनल एंड चौरिटेबल सोसाइटी ने आगे बढ़ाया है। पूरन सिंह जी एक व्यापक सोच वाले समाज सुधारक थे। श्री हरचंद सिंह बराड़ जैसी महान विभूतियों का योगदान इस संस्थान की आत्मा में रचा-बसा है साथ ही, जसबीर कौर जी की समर्पित शिक्षा-सेवा ने रिवरडेल को वर्तमान ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर गर्व होता है कि विद्यालय की आधारभूत संरचना आधुनिक और प्रेरणादायक है। सौर ऊर्जा संचालित परिसर, स्विमिंग पूल, ट्रैफिक पार्क, विशाल सभागार, एनसीसी की सशक्त इकाई, शूटिंग रेंज, बाधा कोर्स, आधुनिक प्रयोगशालाएं, रोबोटिक्स लैब, कंप्यूटर लैब, एनआईआईटी संचालित मैथ लैब और वनस्पति उद्यान। यह व्यवस्था बताती है कि रिवरडेल केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि भविष्य की प्रयोगशाला है।
महामहिम ने कहा कि जीवन में सफलता किसी आकस्मिक परिस्थिति का फल नहीं होती, यह तो अनुशासन, समय के सदुपयोग और सतत परिश्रम की उपज है। सैन्य जीवन ने मुझे सिखाया कि समय का सम्मान करने वाला व्यक्ति ही हर चुनौती में विजयी बनता है। उन्होने कहा कि जीवन केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि उच्च आदर्शों को आत्मसात करने की साधना है। ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, सम्मान और करुणा- ये वे मूल्य हैं जो चरित्र को उत्कृष्ट बनाते हैं। माता-पिता, गुरुजनों और समाज के प्रति सम्मान ही सुदृढ़ व्यक्तित्व की वास्तविक नींव है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य अंकों तक सीमित नहीं, इसका वास्तविक अर्थ जीवन में उसका विवेकपूर्ण प्रयोग है। वही ज्ञान सार्थक है जो सोच का विस्तार करे, आचरण को परिष्कृत बनाए और आत्मविश्वास प्रदान करे। इसलिए शिक्षा को मात्र परीक्षा का साधन न बनाकर व्यक्तित्व का आधार बनाइए। उन्होंने कहा कि जीवन में स्पष्ट लक्ष्य अत्यंत आवश्यक हैं। मार्ग में आने वाली कठिनाइयाँ सफलता की सीढ़ियाँ होती हैं, जिन्हें धैर्य और निरंतर प्रयास से पार किया जा सकता है। उन्होने कहा नेतृत्व का वास्तविक अर्थ है- टीमभाव, निर्णय क्षमता और उत्तरदायित्व का निर्वहन। विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि आपको भविष्य के नेतृत्व के लिए तैयार करती है, इसलिए उनमें पूरे मनोयोग से प्रतिभाग करें।
महामहिम ने कहा कि आज का युग तकनीक की तीव्र प्रगति का युग है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और डिजिटल कौशल आने वाले समय की आधारशिला हैं। श्।प् डपेेपवद 2025श् में सक्रिय भागीदारी आपके लिए अवसर भी है उत्तरदायित्व भी है और उज्ज्वल भविष्य की कुंजी भी। उन्होंने कहा कि नवाचार और उद्यमिता इस युग की नई शक्ति हैं। नए विचारों का स्वागत करें, प्रयोग करें, सीखें और आगे बढ़ें। संभव है कि आपका एक विचार समाज की किसी चुनौती का समाधान बन जाए। उन्होंने कहा कि आप अमृतकाल की वह सशक्त पीढ़ी हैं, जो अपने ज्ञान, तकनीकी दक्षता, नैतिक मूल्यों और संकल्पबद्ध कर्म से भारत के भविष्य का स्वरूप गढ़ेगी। आपके भीतर वह क्षमता है जो राष्ट्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाए, समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए और उत्तराखण्ड की इस पवित्र धरती से उठकर भारत को विश्व का नेतृत्व करने के मार्ग पर आगे बढ़ाए।
महामहिम ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप केवल ज्ञान के वाहक नहीं, बल्कि राष्ट्र के निर्माता हैं। आपका शब्द, आपका व्यवहार और आपकी प्रेरणा, ये विद्यार्थियों के जीवन की दिशा तय करती है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ नई तकनीक और पद्धतियों का उपयोग, छात्रों के साथ मित्रवत संबंध, अंकों से आगे बढ़कर समग्र विकास पर ध्यान ये सभी आवश्यक हैं। आपका योगदान जितना मौन है, उतना ही महान है। उन्होंने कहा कि आज रिवरडेल की रजत जयंती पर मैं प्रबंधन समिति, स्कूल के संरक्षकों, शिक्षकों, कर्मचारियों, अभिभावकों और छात्रों – पूरे परिवार को हृदय से धन्यवाद देता हूँ। पिछले 25 वर्षों में आपने जिस दृढ़ता, समर्पण और प्रेम से इस संस्था को ऊँचाइयों तक पहुँचाया है, वह वास्तव में अनुकरणीय है।
महामहिम ने विद्यार्थियों व शिक्षकों से कहा कि मै यही संदेश देना चाहूंगा कि सपने वही देखें जो पूरे भारत को आगे बढ़ाएँ। हर कदम पर यही सोचें- मैं ऐसा क्या कर सकता हूँ, जिससे मेरा राज्य, मेरा समाज और मेरा राष्ट्र आगे बढ़े। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ- आप सभी में वह ऊर्जा, वह क्षमता और वह संभावनाएँ हैं, जो भारत को नए क्षितिज तक ले जा सकती हैं और विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत एवं विश्व गुरु भारत का स्वप्न साकार कर सकती हैं। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने अनेक मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम में प्रधानाचार्य परमीन कौर, अध्यक्ष हरमीन्दर सिंह बरार, सचिव जेपी सिधू, पूर्व दर्जा मंत्री राजेश कुमार, हरेन्द्र सिंह लाडी, अपर जिलाधिकारी पंकज उपाध्याय, उप जिलाधिकारी डॉ0 अमृता शर्मा, अभय प्रताप सिंह सहित अभिभावक व छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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जिला सूचना अधिकारी, उधमसिंह नगर।

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