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Governor of Uttarakhand and Chancellor of the University, Smt. Baby Rani Maurya, at the 32nd Convocation of Pantnagar University

Publish Date : 29/04/2019
32 Convocation Pantnagar University
पंतनगर विश्वविद्यालय बदलती परिस्थितियों के अनुरूप करे प्राथमिकताओं का पुनर्निधारण-बेबी रानी मौर्य
पंतनगर। 29 अप्रैल 2019। वैश्वीकरण के युग में शिक्षा व शोध क्षेत्रों में आए बदलावों के अनुरूप पंतनगर विश्वविद्यालय को अपने विभिन्न कार्यक्रमों का पुनर्वालोकन व प्राथमिकताओं का पुनर्निधारण करना चाहिए। यह बात आज उत्तराखण्ड की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति, श्रीमती बेबी रानी मौर्य, ने पंतनगर विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए कही। राज्यपाल विश्वविद्यालय आडिटोरियम, गांधी हाॅल, में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता कर रही थीं।
राज्यपाल ने प्रगतिशील कृषक पद्मश्री भारत भूषण त्यागी को विज्ञान वारिधि की मानद उपाधि से विभूषित किया तत्पश्चात उन्होंने पीएच.डी. व अन्य पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। सर्वोत्तम स्नातक को कुलाधिपति के स्वर्ण पदक व विभिन्न पाठ्यक्रमों के उत्तम विद्यार्थियों को कुलपति के स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक भी प्रदान किये।
अपने दीक्षान्त सम्बोधन में राज्यपाल ने सर्वप्रथम उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की तथा विद्यार्थियों से दीक्षान्त समारोह में ली गयी सपथ को जीवन में उतारने के लिए कहा। श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रहे पर्यावरण परिवर्तन के परिणामस्वरूप यहां की पारिस्थितिकी, फसलों, जीवों इत्यादि पर पड़ने वाले प्रभावों व परिवर्तनों पर शोध करना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की विशिष्ट फसलों को पौष्टिकता एवं औषधीय गुणों के लिए वैश्विक स्तर पर जाना जाता है। इन फसलों के उत्पादन को बढ़ाकर किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना भी वैज्ञानिकों के शोध का विषय होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में प्राकृतिक संसाधनों में लगातार हो रही कमी, घटती कृषि भूमि तथा प्रदूषित एवं परिवर्तित हो रहा पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती हैं, जिनके समाधान ढूंढने के लिए हमारे वैज्ञानिक तैयार हैं। खेती में बढ़ती लागत को कम करने के लिए पारंपरिक खेती के साथ पशुपालन, मुर्गीपालन को जोडने व जैविक खेती को बढ़ावा देने का उन्होंने सुझाव दिया। मृदा गुणवत्ता, मृदा संरचना और पर्यावरण में सुधार की ओर भी कार्य करने की उन्होंने आवष्यकता बतायी। श्रीमती मौर्य ने विश्वविद्यालय की वरिष्ठता को बार-बार साबित करते रहने व उसके लिए सतत प्रत्यनशील रहने के लिए कहा।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि प्रगतिशील कृषक व जैविक खेती के प्रख्यात किसान, पद्मश्री भारत भूषण त्यागी थे। श्री त्यागी ने अपने सम्बोधन में कहा कि कृषि में परिवर्तन से पहले प्राकृतिक व्यवस्था को समग्रता से समझने की आवष्यकता है जिस पर अनुसंधान होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में जो शोध हुए उनका उद्देश्य अधिकतम उत्पादन था, जिसे सफलता भी मिली लेकिन, मात्रा बढ़ाने के जोष में मृदा व मानवीय स्वास्थ्य, पर्यावरण, उत्पाद गुणवत्ता इत्यादि पीछे छूट गये। वर्तमान स्थिति में कृषि अनुसंधान प्राकृति को आधार बनाकर व्यवहारिक होने के साथ समाधन मूलक एवं रोजगारपरक होना चाहिए। श्री त्यागी ने कहा कि सह अस्तित्व मूलक आवर्तनशील कृषि (समक) एक सार्थक विकल्प है, जिसमें उन्होंने मूल सह-अस्तित्व, विविधता, घनाकार और नैसर्गिकता पर जोर दिया जाता है तथा एक खेत से एक वर्ष में 12 फसलें साथ-साथ पैदा होने से आमदनी 4-5 गुना बढ़ती देखी। कृषि विश्वविद्यालयों को सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों की मानसिकता में अधिक उत्पादन नहीं अधिकतम समृद्धि की स्वीकृति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान का स्वरूप प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप तात्विक, तार्किक एवं व्यावहारिक ज्ञान के रूप में परिभाषित होना चाहिए। उन्होंने देश में लघु एवं सीमान्त किसानों को ध्यान मे रखते हुए समग्रता मे स्वावलम्बी माडल बनाये जाने की आवश्यकता बतायी। श्री त्यागी ने विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किसान व राष्ट्रीय हित में ताउम्र कार्य करते रहने की प्रतिबद्धता जतायी।
कुलपति, डा. तेज प्रताप ने सभी अतिथियों व विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षण, शोध व प्रसार के क्षेत्रों में पिछले एक वर्ष में प्राप्त की गयी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय को पिछले दीक्षान्त समारोह के बाद से अब-तक मिले विभिन्न अवार्ड व सम्मानों के बारे में बताया, जिसमें हाल ही में राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं की रेंकिंग में पंतनगर को कृषि विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च स्थान तथा सभी विश्वविद्यालयों में 38वां स्थान मिलने की जानकारी दी।  विश्वविद्यालय में चल रहे 14 स्नातक, 67 स्नातकोत्तर व 53 पीएच.डी. कार्यक्रमों के बारे में बताते हुए उन्होंने भविष्य में विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 25000 तथा अगले पांच वर्ष में 10000 तक किये जाने का लक्ष्य बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय में चल रही लगभग 40 करोड़ रूपये की 128 परियोजनाओं पर कार्य चलने तथा वैज्ञानिकों द्वारा अब तक विभिन्न फसलों की 283 उन्नतशील प्रजातियों के विकास की भी जानकारी दी। इस अवधि में 3 किसान मेलों तथा विभिन्न विषयों पर किसानों व बेरोजगार युवाओं हेतु चलाये गये अनेक प्रशिक्षणों के बारे में भी उन्होंने बताया। अंत में उन्होंने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को दीक्षा दी।
इस दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति, श्रीमती बेबी रानी मौर्य, ने 1417 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। साथ ही 36 विद्यार्थियों को विभिन्न पदक प्रदान किये गये, जिनमें सर्वोत्तम स्नातक विद्यार्थी को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 14 विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण पदक, 11 विद्यार्थियों को कुलपति रजत पदक तथा 11 विद्यार्थियों को कुलपति कांस्य पदक प्रदान किये गये। इनके अतिरिक्त 7 विद्यार्थियों को विभिन्न अवार्ड प्रदान किये गये, जिनमें एक विद्यार्थी को श्री पूरन आनन्द अदलखा स्वर्ण पदक अवार्ड, एक विद्यार्थी को सरस्वती पांडा स्वर्ण पदक अवार्ड, एक विद्यार्थी को नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड, एक विद्यार्थी को डा. राम शिरोमणी तिवारी अवार्ड, एक विद्यार्थी को डा. बी.बी. सिंह अवार्ड तथा दो विद्यार्थियों को चैधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कुलसचिव, डा. ए.पी. शर्मा ने समारोह का संचालन किया एवं अंत में धन्यवाद दिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रबन्ध परिषद् एवं विद्वत परिषद् के सदस्यों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी तथा प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
दीक्षांत समारोह में विभिन्न पदक एवं अवार्ड से सम्मानित हुए चयनित विद्यार्थी
पंतनगर। 29 अप्रैल 2019। पंतनगर विश्वविद्यालय में 29 अप्रैल 2019 को आयोजित हुए 32वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति एवं माननीय राज्यपाल, श्रीमती बेबी रानी मौर्य; तथा कुलपति, डा. तेज प्रताप, द्वारा 1417 विद्यार्थियों को उपाधि व दीक्षा प्रदान की गयी। इस अवसर पर अरूणा कुन्याल को सर्वोत्तम स्नातक होने के नाते कुलाधिपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त 14 विद्यार्थियों को कुलपति के स्वर्ण पदक प्रदान किये गये, जिनमें पारूल गुप्ता, करमजीत कौर, अंजली सैतिया, नवप्रीत कौर ढिल्लों, नीलम ठागुरथी, पंखुरी भाटिया, धीरज अधिकारी, संगीता अग्रवाल, सुरीला गुगलानी, ऐश्वर्या श्रीवास्तव, निखिल मेहरा, अमन वर्मा, अंजु जोशी, एवं अरूणा कुनियाल सम्मिलित थीं। कुल 11 विद्यार्थियों को कुलपति के रजत पदक दिये गये, जिनमें अदिति, सुव्रत परगैन, हर्षिका अरोरा,  मेघा खंडूरी, इप्सिता पांडे, पंखुरी जैन, आफरीन अनामुल हक, साक्षी बिष्ट, सांगी पटेरिया, निमिशा कर्नाटक एवं सौरभ तिवारी सम्मिलित थे। इनके अतिरिक्त 11 विद्यार्थियों को कुलपति का कांस्य पदक प्रदान किया गया, जिनमें कृतिका गोपाल, आयुशी जोशी, श्रेया पंवार, सुश्मिता शाह, हिमांशु पंत, शिवम भूसरी, राजन जैन, अंजली सक्सेना, प्रगति बंसल, पुनीत संतवानी एवं सुश्मिता नौटियाल सम्मिलित थे।  इन पदकों के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए रूपांजली बौराई को श्री पूरन आनन्द अदलखा स्वर्ण पदक अवार्ड, करमजीत कौर को सरस्वती पांडा स्वर्ण पदक अवार्ड, सुव्रत परगैन को नागम्मा शान्ताबाई अवार्ड, पारूल गुप्ता को डा. राम शिरोमणी तिवारी अवार्ड, शौकत अहमद राठेर को डा. बी.बी. सिंह अवार्ड तथा दो विद्यार्थियों, पारूल गुप्ता एवं आदिति, को चैधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शैक्षणिक वर्ष 2017-18 के लिए सर्वोत्तम छात्र पुरस्कार स्नाकोत्तर विद्यार्थियों में प्रज्ञा गोस्वामी एवं पीएच.डी. विद्यार्थियों में संदीप मण्डल को प्रदान किया गया।
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