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State Public Works, Tourism, Irrigation, Culture, Rural Works and Panchayati Raj Minister Shri Satpal Maharaj inaugurated the two-day workshop/training of three-tier Panchayat representatives and personnel of Kumaon division organized at Gandhi Park under the National Gram Swaraj Abhiyan by lighting the lamp.

Publish Date : 19/02/2024

रूद्रपुर 16 फरवरी, 2024- राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के अन्तर्गत गांधी पार्क में आयोजित कुमांऊ मण्डल के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों एवं कार्मिकों की दो दिवसीय कार्यशाला/प्रशिक्षण का प्रदेश के मा0 लोक निर्माण, पर्यटन, सिंचाई, संस्कृति, ग्रामीण निर्माण एवं पंचायतीराज मंत्री श्री सतपाल महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया।
उन्होने त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों एवं कार्मिकों के लिए पंचायत विकास सूचकांक, ई-पंचायत एप्लीकेशन, पर्यावरण प्रबन्धन एवं कार्बन न्यूट्रिलिटी, आपदा प्रबन्धन तथा आपदा प्रबन्धन में पंचायतों की भूमिका व ओ.एस.आर. मॉडल जी.पी.डी.पी., ई-ग्राम स्वराज व अन्य पोर्टल का प्रबन्धन आदि विषयों पर आहूत इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य के मा० त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधि गणों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। उन्होने कहा कि प्राचीनतम ग्रन्थ ऋग्वेद में “सभा“ एवं “समिति“ के रूप में लोकतांत्रिक स्वायत्तशासी संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। इतिहास के विभिन्न अवसरों पर केन्द्र में राजनैतिक उथल-पुथल के बावजूद सत्ता परिवर्तन के प्रभावों से हटकर भी ग्रामीण स्तर पर यह स्वायत्तशासी इकाइयां पंचायतें निरन्तर किसी न किसी रूप में कार्यरत हैं। उन्होने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्था ग्रामीण स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत से आच्छादित है। उन्होने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। उन्होने कहा कि 73वें संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायतीराज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होने कहा कि इस संशोधन अधिनियम के जरिये संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ते हुए 29 विषय त्रिस्तरीय पंचायतों को हस्तान्तरित करने का अध्यादेश प्राप्त हुआ।
उन्होने कहा कि ग्राम स्तर पर स्थानीय समस्याओं के समाधान, विकास का नियोजन, प्रबन्धन व उनका क्रियान्वयन करने के उददेश्य से 73वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। उन्होने कहा कि संविधान प्रदत्त इस अधिदेश के जरिये पंचायतें स्थानीय स्व-शासन के रूप में विकसित हो रही हैं। उन्होने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्था के माध्यम से आम ग्रामीण जन समुदाय के लिये भागीदारी का मार्ग खुल गया है।
उन्होने कहा कि जन आकांक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के मार्ग दर्शन में सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के उत्थान के लिए चलायी जा रही विभिन्न विकास योजनाओं के सफल संचालन लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। उन्होने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्था की मजबूती के लिए निर्वाचित जन प्रतिनिधि, अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी भूमिका का जिम्मेदारी से निर्वहन कर सकें व गावों का सर्वागीण विकास हो, इसी मूल भावना को देखते हुए पंचायतीराज विभाग द्वारा समस्त निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों एवं कार्मिकों का लगातार क्षमता विकास किया जा रहा है। उन्होने कहा कि पंचायतों में गुणवत्ता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही तथा पंचायत प्रतिनिधियों की कार्य क्षमता में वृद्धि की दृष्टि से हमारी सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों का शैक्षिक स्तर निर्धारित करते हुए पंचायत चुनावों में उम्मीदवारी के लिए सामान्य एवं अन्य पिछडा वर्ग के व्यक्तियों को न्यूनतम हाईस्कूल तथा सभी वर्ग की महिलाओं एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों लिए न्यूनतम आठवीं की योग्यता होना अनिवार्य किया है। उन्होने कहा कि शैक्षिक योग्यता निर्धारित होने से पंचायत प्रतिनिधि नियमों, अधिनियमों के साथ-साथ पंचायत के क्रिया कलापों एवं गतिविधियों को भलीभाँति समझते हुए स्वयं कार्य करने में सक्षम हो रहे हैं। साथ ही राज्य की साक्षरता दर में भी अपेक्षित सुधार हो रहा है। उन्होने कहा कि हमारी सरकार सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार समाप्ति के लिए संकल्पबद्ध है। इसी उद्देश्य से क्षेत्र पंचायत प्रमुखों एवं जिला पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से किये जाने हेतु हमारी सरकार के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 के अन्तर्गत संशोधन किये जाने हेतु भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
श्री महाराज ने कहा कि पंचायतों के विकास और सशक्तिकरण के लिए 15वें वित्त आयोग से प्रदेश को अब तक टाइट फंड से 933 (नौ सौ तेंतीस करोड), अनटाइट फंड से 718 (सात सौ अट्ठारह करोड़) सहित कुल 1651(एक हजार छह सौ इक्यावन करोड़) की धनराशि प्राप्त हुई है। उन्होने कहा कि मुझे खुशी है कि पंचायतीराज विभाग पंचायतों को सुदृढ़, विकसित व स्वायत्तशासी सरकार बनाने की दिशा में विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का निरन्तर कार्यान्वयन एवं संचालन कर रहा है। उन्होने कहा कि पंचायतीराज विभाग में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं जिनमें-राज्य में बढ़ते प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन हेतु 95, विकास खण्डों में 85 कॉम्पैक्टर्स स्थापित किये गये हैं। इनमें अधिकांश अपना काम सुचारू रूप से कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि सरकार ने ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने की भी पहल की है। इसके तहत ग्राम पंचायतों की खाली भूमि पर पार्किंग बनाने, कूड़ा करकट, गंदगी आदि को हर घर से एकत्र करने, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट करने, सड़कों की सफाई, मृतक पशुओं को हटाने, कूड़ादान, व्यक्तिगत व सामुदायिक कूड़ा निस्तारण आदि के लिए निर्धारित शुल्क वसूल कर पंचायतों की आय में वृद्धि होगी। उन्होने कहा कि विगत दो वर्षों में हमारी सरकार ने 1250 पंचायत भवनों का निर्माण किया है और लगभग 400 भवनों के मरम्मत का कार्य भी पूर्ण किया जा चुका है। उन्होने कहा कि अधिकतर पंचायत भवनों में सी.एस.सी. सेण्टर के रूप में अबतक 250 अतिरिक्त कक्षों का निर्माण किया जा चुका है। इन भवनों में सेवा का अधिकार अधिनियम में अधिसूचित सेवाओं, जैसे जन्म-मृत्यु पंजीकरण, परिवार रजिस्टर पंजीकरण, शुद्धिकरण, परिर्वर्धन व प्रतिलिपि निर्गमन, शौचालय प्रमाण पत्र, भवन निर्माण अनापत्ति प्रमाण पत्र आदि के साथ-साथ सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत् विभिन्न विभागों की सेवाएं नियत समयावधि के अन्तर्गत जन सामान्य को सुलभ कराई जा रही हैं। उन्होने कहा कि राज्य सेक्टर योजना तथा राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना के अन्तर्गत एक हजार ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर की स्थापना का कार्य किया जा चुका है। उन्होने कहा कि गत वर्ष राज्य की 9 ग्राम पंचायतों को “पंचायत लर्निंग सेण्टर“ के रूप में विकसित किया गया है। उन्होने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 ग्रामपंचायतों को “पंचायत लर्निंग सेण्टर“ के थीम के आधार पर विकसित किये जाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होने कहा कि पिछड़े वर्ग की पंचायत चुनावों में प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के लिये “एकल सदस्यीय समर्पित“ आयोग का गठन किया गया है। उन्होने कहा कि पंचायतों में विकेन्द्रीकरण, स्वः शासन की स्थापना करते हुए उन्हें सुदृढ़ एवं अधिकार सम्पन्न बनाने के उद्देश्य से संविधान में वर्णित 29 विषयों को पंचायतों को सौंपे जाने हेतु पंचायतीराज विभाग में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है। उन्होने कहा कि पंचायत विकास सूचकांक के रूप में पंचायतीराज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों की रैंकिग के लिए एक विशेष एवं नवीन पहल की गई है। उन्होने कहा कि ग्राम प्रधानों का मानदेय रूपया 1500 से बढ़ाकर रूपया 3500 प्रतिमाह किया गया है। उन्होने कहा कि ग्राम प्रधानों के अलावा, राज्य के अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि का निर्णय शीघ्र लिया जायेगा। उन्होने कहा कि विकास के रोडमैप के तहत् 2025 तक राज्य की अवशेष सभी 7795 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवनों का निर्माण एवं कम्प्यूटर की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होने कहा कि समस्त 662 न्याय पंचायतों में स्थापित पंचायत भवनों को दीन दयाल उपाध्याय मिनी सचिवालय के रूप में विकसित किये जाने का लक्ष्य है। उन्होने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विकास खण्ड को वीसी सेटअप से जोड़े जाने की योजना है। इससे एक ओर जहां आपदा से सम्बन्धित घटनाओं की सूचना शासन, प्रशासन तक तत्काल पहुंच जायेगी, वहीं दूसरी ओर विकास खण्ड स्तर से पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि एवं कार्मिक सीधे राज्य स्तर से संवाद स्थापित कर सकेंगे। उन्होने कहा कि पंचायतों के समग्र विकास, सुदृढ़ीकरण एवं उन्हें अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
मास्टर ट्रेनर/जिला पंचायत राज अधिकारी निदेशालय पंचायतीराज पूनम पाठक ने पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआई), सतत विकास लक्ष्य के तहत गरीबी मुक्त एवं उन्नत आजिविका युक्त पंचायत, स्वस्थ्य पंचायत, बाल हितैषी/बाल मित्र पंचायत, पर्याप्त पानी युक्त पंचायत, आधारभूत सुविधाओं के सन्दर्भ में आत्म निर्भर पंचायत, स्वच्छ एवं हरित पंचायत, सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत, सुशासित पंचायत, लैंगिक समानता आधारभूत विकास पंथ पर अग्रसर पंचायत पर विस्तार से जानकारी दी।
परामर्शदाता पंचायतीराज मंत्रालय भारत सरकार मोहित गुप्ता ने ई-पंचायत एप्लीकेशन्स एवं उन पर किये जाने वाले कार्यो की जानकारी दी।
पूर्व वन संरक्षण अधिकारी कीर्ति सिंह ने पर्यावरण प्रबन्धन एवं कार्बन न्यूट्रीलिटी विषय पर विस्तार से जानकारी दी।
पूर्व निदेशक विश्वेश्वरैया सैनिटेशन एवं वाटर एकेडमी रांची अजीत कुमार द्वारा आपदा प्रबन्धन में पंचायतों की भूमिका एवं ओएसआर विषय पर जानकारी दी गयी।
इस अवसर पर जिला पंचायत श्रीमती रेनू गंगवार, क्षेत्रीय विधायक शिव अरोरा, जिला अध्यक्ष भाजपा कमल जिंदल, प्रदेश अध्यक्ष ग्राम प्रधान संगठन भास्कर संभल, जिला मंत्री भाजपा अमित नारंग, सदस्य जिला पंचायत जगदीश विश्वास, संयुक्त निदेशक पंचायतीराज राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी, उप जिलाधिकारी/जिला पंचायतराज अधिकारी गौरव पाण्डेय, मनीष बिष्ट, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत तेज सिंह सहित बड़ी संख्या में कुमांऊ मण्डल से आये त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।
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